बिरजभासा में लोकगीत

अरी होली में हो गया झगड़ा,  सखियों ने मोहन को पकड़ा

अरी होली में हो गया झगड़ा, 
सखियों ने मोहन को पकड़ा ।
 
धावा बोल दिया गिरधारी
नन्द गाँव के ग्वाले भारी
तक-तक मार रहे पिचकारी
आँख बचाकर कुछ सखियों ने, 
झट से मोहन पकड़ा ॥ 

अरी होली में हो गया झगड़ा, 
सखियों ने मोहन को पकड़ा ।
 
सखियों के संग भानुदुलारी
ले गुलाल की मुट्ठी भारी
मार रहीं हो गई अँधियारी
दीखे कुछ नहीं तब भी, 
सखियों ने मोहन को पकड़ा ॥ 

सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया

टेक: सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया

सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया
मेरो छोटौ सौ काम कराय दै
राधा गोरी से ब्याह रचाय दै

राधा-सी गोरी मेरे मन में बसी है
ग्वाल उड़ावे नहीं मेरी हँसी है
मौकूँ छोटी-सी दुल्हनियाँ लाय दै
अपने हाथों से दुल्हा बनाय दै

सेवा-वो मैया तेरी रोज करेगी
जोड़ी तो मैया मेरी खूब जमेगी
नन्द बाबा कूँ तू नेंक समझाय दै
दाऊ भैया कूँ नेंक संग पठाय दै

जल की मछरियाँ सासुल, बिकन को आईं जी

जल की मछरियाँ सासुल, बिकन को आईं जी
कोई हमें हू दिवाय देओ सासुल जल की मछरियाँ जी
आज नहीं लेंगे बहुअर, कल नहीं लेंगे जी
कोई परसों को लेंगे बहुअर, जल की मछरियाँ जी
बारह बरस पीछे राजा घर आए जी
कोई हम हू चलेंगे सासुल, राजा जी की बगिया जी
आज नहीं जाएँगे बहुअर, कल नहीं जाएँगे जी
कोई परसों को जाएँगे बहुअर, बेटा जी की बगिया जी
कोई बारह बरस पीछे हम घर आए जी
ए जी कहीं भी न दीखे अम्मा, सासुल जाई जी
सासुल जाई बेटा गर्ब हठीली जी
कोई सोई पड़ी है बेटा, ऊंची अटरिया जी

आई बागों में बहार

आई बागों में बहार
आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी
झूले राधा प्यारी, हाँ झूले राधा प्यारी || आई बागों में ...........

सावन की ऋतु है आई, घनघोर घटा नभ छाई
ठंडी-ठंडी पड़े फुहार, झूला झूले राधा प्यारी || आई बागों में ...........

हो मस्त मोर यूँ नाचे, मोहन की मुरलिया बाजे
कू-कू कोयल करे पुकार, झूला झूले राधा प्यारी || आई बागों में ...........

सब सज रहीं नार नबेली, नटखट करते अठखेली

जल भरै हिलोरे लेत

जल भरै हिलोरे लेत
जल भरै हिलोरे लेत रसरिया रेसम की

रेसम की रसरी तब नीकी लागै (2)
सोने की गगरिया होय || रसरिया रेसम की
सोने की गागरी तब नीकी लागै (2)
जब मोती की इंडुरी होय || रसरिया ----

मोती की इंडुरी तब नीकी लागै (2)
जब नागिन सी चुटिया होय || रसरिया ------
नागिन सी चुटिया तब नीकी लागै (2)
जब पतली कमरिया होय || रसरिया ----

दिलों को दिलों से मिलायेगी होरी

दिलों को दिलों से मिलायेगी होरी ,
प्यार के रंग खुद मे, सजायेगी होरी
रूठे हुए कौ मनाएंगी होरी!

खुशियों के थाल सजायेगी होरी,
अपनौ के हाल बतायेगी होरी!

सज गई गांम के,बीच में होलिका,
दिये सी अच्छी, नवल बालिका।
सालौं के दिल में, जो जमघट पड़े,
सभी को लौ मे,जलाऐगी होरी!
सारे सिकवे गिले ,भुलायेगी होरी!

हे पत्तेदार गोबी आलू में डारके ले च्यों ना आये सब्जी राजा बजार ते

टेक- हे पत्तेदार गोबी आलू में डारके ले च्यों ना आये सब्जी राजा बजार ते।

मम्मी लडेगी पापा लडेगा तुम भी लडोगी गोरी उनके भी साथ में।
हे पत्तेदार गोबी आलू में डारके ले च्यों ना आये सब्जी राजा बजार ते।

भाभी लडेगी भईया भी लडेगा तुम भी लडोगी गोरी उनके भी साथ में
हे पत्तेदार गोबी आलू में डारके ले च्यों ना आये सब्जी राजा बजार ते।

देबर लडेगा दौरानी भी लडेगी तुम भी लडोगी गोरी उनके भी साथ में
हे पत्तेदार गोबी आलू में डारके ले च्यों ना आये सब्जी राजा बजार ते।

मैं नार दूसरी लांऊ, मेरी गोदी में लाल नहीं है

मैं नार दूसरी लांऊ, मेरी गोदी में लाल नहीं है
राजा राजी खुसी लै अईयों आयेगी छोटी बहिन
मेरे राजा की आई सगाई, घर-घर में सगाई जा रई
मेरे राजा की आई लगनवा घर-घर में बतासे जा रहे सै
मेरे राजा भ्यावन में चाले, हमें कर गये बाग की रखबारी
मेरे राजा भ्याह कर लायौ, मैं भजकैं उतारन चाली
मेरी डोली से परे कूं सरक जा, तू कहियै बांझ लुगाई
मैं पीठ मोर कर रोई, तू सुनियौ ईस्वर मेरी
जीजी खोलौ झझन किवरिया, मैं कुरता टोपी लैकर आई
मेरे कमरे से बहार सरकजा, मैं तैनैं ही बांझ बताई
राजा कहां गई नार दूसरी, गोरी भज गई नार दूसरी