बिरजभासा में सुवविचार पेज-5

  • सबर एक  छोटो सौ हिस्सा ऊ एक टन उपदेस ते बहत्तर है।
  • कमी भलंई हजारन में हों, लेकिन खुद पै विस्वास रखौ कै तुम सबते बेहतर करबे कौ हुनर रखें हैं।
  • आज खुद पै भरोसो कर लेयो, कल द

चरण रज राधा प्यारी की ।

चरण रज राधा प्यारी की ।
तेरी बिगड़ी बना देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [1]

तू बस एक बार श्रद्धा से, लगा कर देख मस्तक पर ।
सोयी किस्मत जगा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [2]

दुखों के घोर बादल हों, या लाखों आंधियां आयें ।
तुझे सबसे बचा लेगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [3]

तेरे जीवन के अन्धिआरों में, बन के रोशन तुझको ।
नया रास्ता दिखा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [4]

भरोसा है अगर सच्चा, उठा कर फर्श से तुझको ।
तुझे अर्शों पर बिठा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [5]

मेरी चुँदरी में पड़ गयो दाग री

मेरी चुँदरी में पड़ गयो दाग री,
ऐसी चटक रंग डारो श्याम। [1]

मोहू सी केतिक ब्रज सुन्दरि,
उनसों न खेलै फाग री॥ [2]

औरन को अचरा न छुए,
याकी मोही सो पड़ रही लाग री। [3]

'बलिदास' वास ब्रज छोड़ो,
ऐसी होरी में लग जाये आग री॥ [4]

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं। 

बाजै ताल मृदंग झाँझ ढप, 
दौड़त आवैं लाल आज हरि नाचै हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

उड़त गुलाल लाल भए बादर, 
रंग की पड़त फुहार आज हरि बरसन लागे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

फेंट गुलाल हाथ पिचकारी,
मैं लाई रंग घोल, आप डर भागन लागे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री
ग्वाल-बाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी
काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी
रेशम की जानें गेंद बनाई, चन्दन को डण्डा लायौरी
मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी
नागिन जब ऐसे उठि बोली, क्यों तू दह में आयौरी
कैं तू लाला गैल भूलि गयो, कै काऊ ने बहकायौरी
कैसे लाला तू यहाँ आयो, कैं काऊ ने भिजवायोरी
ना नागिन मैं गैल भूल गयो, ना काऊ ने बहकायौरी
नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी