जल भरै हिलोरे लेत

जल भरै हिलोरे लेत
जल भरै हिलोरे लेत रसरिया रेसम की

रेसम की रसरी तब नीकी लागै (2)
सोने की गगरिया होय || रसरिया रेसम की
सोने की गागरी तब नीकी लागै (2)
जब मोती की इंडुरी होय || रसरिया ----

मोती की इंडुरी तब नीकी लागै (2)
जब नागिन सी चुटिया होय || रसरिया ------
नागिन सी चुटिया तब नीकी लागै (2)
जब पतली कमरिया होय || रसरिया ----

दिलों को दिलों से मिलायेगी होरी

दिलों को दिलों से मिलायेगी होरी ,
प्यार के रंग खुद मे, सजायेगी होरी
रूठे हुए कौ मनाएंगी होरी!

खुशियों के थाल सजायेगी होरी,
अपनौ के हाल बतायेगी होरी!

सज गई गांम के,बीच में होलिका,
दिये सी अच्छी, नवल बालिका।
सालौं के दिल में, जो जमघट पड़े,
सभी को लौ मे,जलाऐगी होरी!
सारे सिकवे गिले ,भुलायेगी होरी!

बंदर और ऊंट

भौत साल पहलैं, जंगल में सबरे जानबर अपनी-अपनी अभिनय और नाचबे-गाबे की कलाकारी दिखाबे काजैं इकट्‍ठे हुये। जब सबरे जानबर आ गये, तो बंदर ते नाचबे की कही गई। बंदर तो उछल-कूद और कलाबाजीन में माहिर हो। तो बानै अपने नाच ते सबकौ मनोरंजन करौ।

सब जानबरन नै तारीफ करी और बंदर ऐ सब नै भौत अच्छौ नरतक मान लियौ। ऊंट ते बंदर की तारीफ सहन ना हुई और बानैऊ नाचनौ सुरू कर दियौ। और ऊंट कौ नाच बेतुका और बेढंगा हो। बाकौ नाच कोई जानबरै पसंद ना आयौ। और सबनै बाकी बुराई करी। ऊंट नै जलन ते नाच करौ या कारन सजा के रूप में बू जंगल ते  निकार दियौ।

बिरजभासा में सुवविचार पेज-3

1. कमजोर तब रूकैं हैं जब वे थक जामैं हैं, और विजेता तब रूकैं हैं जब वे जीत जामैं हैं।


2. अपनेन पै भी उतनौ ही विस्वास रखौ, जितनौ दवाईन पै रखैं हैं।

गरम जामुन

कहानी (गरम जामुन)

बहौत टैम पहले की बात ऐ, सुंदरवन में सेतू नाम कौ एक बूढ़ौ खरगोस रहबे हो। बू इतनी अच्छी कविता लिखौ कि सारे जंगल के पसुपक्षी उन्नै सुनकैं बहौत खुस हैबे और विदमान तोता तक उन्‍नै लोहा मानै हो।

सेतू खरगोस नै सासतार्थ में सुरीली कोयल और विदमान मैना तक हरा दियै। याई कारन जंगल कौ राजा सेर भी बाकौ आदर करेकरौ। पुरे दरबार में बा जैसे विदमान कोई ना हो। धीरें-धीरें बाऐ अपनी विदमानी पै बड़ौ घमंड हैगौ।