कोसिस की बारिस

एक गांम में एक साधू रहबैऔ। ऊ जब भी नाचैऔ तौ बारिस हैबैई। एक पोत सहर ते च्यार छोरा गांम में घूम्बे आये। जब उन्‍नै साधू बारी बात मालुम परी तौ उन्‍नै विस्वास ना हुयौ और साधू ते बारिस में नाचबे की चुनौती दैदी। कै हम भी नाचेंगे तौ बारिस होगी और हमारे नाचबे ते बारिस ना हुई तौ साधू के नाचबे ते भी बारिस ना होगी। अगले दिना दिननिकरैं सब लोग इकट्ठे हैगे। उन छोरान्‍नै नाचबौ सुरु करौ और एक जनौ आधौ घन्टा हैगौ पर बादर ना हैते दीखे तौ हारकैं नीचैं बैठगौ। कछू देर डटकैं दूसरौ छोरा भी नीचैं बैठगौ। धीरैं- धीरैं सबरे बैठगे पर बारिस ना हुई। अब साधू की बारी आई। बानै नाचबौ सुरु कर दियौ क

कोयला और चंदन

एक सज्‍जन मांईसौ। जब ऊ जादा बूढौ हैगौ तौ वानै अपनौ छोरा बुलायौ और वाते कहरौ बेटा मैंनै अपनौ सबरौ जीवन दुनिया कूं सिक्छा दैबे में निकार दियौ। अब मैं तोकूं कछू जरुरी बात बतानौ चांहु,पर बात बतावे ते पहलें तू मोकूं एक कोयला और चंदन का एक टुकडा लैकैं आ। बेटा घर में तेई कोयला और चंदन कौ टुकडा लै आयौ। तौ वाके बाप नै कही कै इन दोनून्‍नैं नीचैं फैंक दै। छोरा नै दोनूं चीज नीचैं फैंक दी और हात धोबे जाबे लगौ तौ वाकौ बाप बोलौ रुक बेटा मोय तेरे हातै तौ दिखा। छोरा नै हात दिखायौ तौ वाकौ बाप बोलौ बेटा तैनैं कोयला फैंक दियौ फिर भी हात में कालिख लगी रहगी। ऐसैं ही गलत लोगन के संग रहब

कठौती मे गंगा

एक भक्‍त रैदास कौ रहन-सहन गिरस्थी में रहबे के बाद भी संतन जैसौ। बाकौ काम जूता चप्‍पल बनाबौ और उनकी मरम्‍मत करबौ बाकौ पेसाऔ। एक दिना पून्यौ पै भौत दुनिया गंगा नहाबे कूं गंगा घाट पै जारे। पर वा रैदास की दुनिया सबनते अलगी। ऊ अपने काम में लगौ रहतौ और मीठे स्वर ते मन ही मन में भजन गाती रहती। एक बईयर रैदास के ढिंग चप्‍पल गठबाबे आई तौ वानै रैदास जी ते पूछी गंगा में सब नहाने जारैं तुम ना चलरे का भगत जी। मैं भी जारी हूं। तुम ना चलरे का। ऊ बोलौ देखौ बहन ई जूता चप्‍पलन कौ कितेक ढेर लगरौय ई सब काम करनौय। मैं तौ या कामें करतौ- करतौ गंगा मां के दरसन कर लुंग्‍गौ। बईयर गंगा नहाबे

 कट गयौ पहाड

एक पहाडी गांम में एक बूढौ मांईस रहबैऔ। गांम के लोग महामूर्ख कहकैं बुलाबैय। वाके घर के सामई दो बडे पहाडे। जिन्‍नै दूसरी ओर पार करबे में कई दिना लग जाबैय। एक दिना वा मांईस नै अपने दोनूं छोरा बुलाये और उनकूं हात में कुदाल फाबरे दे दिये और कही कै पहाडै काटो। वे पहाड काट कैं गैल बनाबे के काम में लग गये। गांम के लोगन्‍नै मजाक उडाबौ सुरू कर दियौ। तुम सचमुच महामूर्ख हो। इतने बडे पहाडन्‍नै काट कैं गैल बनाबौ तुम बाप बेटों के बस के बहार है। बूढे नै जुबाब दियौ मेरे मरबे ते पीछैं मेरे बेटे याई काम बदस्तु (जारी) रखेंगे। बेटान ते पीछैं बेटान के पोते और पोतेन ते पीछैं परपोते। पीढ

ओस बारौ मटका

एक राजाऔ। बाके पांच छोराए। राजा कूं दिन रात ई चिन्ता सताबैयी कै मेरे मरबे ते पीछैं कौन राजा बनेगा। एक दिना राजाय एक उपाय सूजौ। बानै मट्‍टी के कच्‍चे मटका मंगबाये और अपने राजकुमारन कूं एक- एक मटका दैते हुये कहरौ “ जो राजकुमार अपने मटकाय ओस के पानी ते भर लाबैगौ बाय मैं राजा बना दुंग्‍गौ। पांचौ राजकुमार मटकाय लैकैं एक खाली मैदान में पौंहचगे। और ओस के टपकान्‍नै (कण) इकठ्टे करकैं मटका में दारबे लगे। पर जैसे ही बे ओस के पानीय बामें डालैये मटका की कच्‍ची मट्‍टी बाय सोक लैती। लाख कोसिस करबे पै भी सफलता ना मिली। उनमें ते एक राजकुमार भौते तेज बद्‍दी बारौ तौ ऊ मटकाय लैकैं एक