एक राजाऔ। बाके पांच छोराए। राजा कूं दिन रात ई चिन्ता सताबैयी कै मेरे मरबे ते पीछैं कौन राजा बनेगा। एक दिना राजाय एक उपाय सूजौ। बानै मट्‍टी के कच्‍चे मटका मंगबाये और अपने राजकुमारन कूं एक- एक मटका दैते हुये कहरौ “ जो राजकुमार अपने मटकाय ओस के पानी ते भर लाबैगौ बाय मैं राजा बना दुंग्‍गौ। पांचौ राजकुमार मटकाय लैकैं एक खाली मैदान में पौंहचगे। और ओस के टपकान्‍नै (कण) इकठ्टे करकैं मटका में दारबे लगे। पर जैसे ही बे ओस के पानीय बामें डालैये मटका की कच्‍ची मट्‍टी बाय सोक लैती। लाख कोसिस करबे पै भी सफलता ना मिली। उनमें ते एक राजकुमार भौते तेज बद्‍दी बारौ तौ ऊ मटकाय लैकैं एक नदी पै गयौ और बानै मटका अच्छी तरैह ते खूब धोयौ। मट्‍टी नै जितनौ पानी सोखनौ बानै सोख लियौ। बाते पीछैं घास के मैदान में गयौ। बानै एक लत्‍ता ओस में भिजोयौ और मटका में निचोरौ। याई तरैह ते साम तक बाकौ मटका भरगौ। और राजकुमार खाली मटका लैकैं लौटकैं चलेगे।  सिर्फ ईयई राजकुमार ओस कौ भरौ मटका लैकैं लौटौ तौ राजा बाकी तेज बुद्‍दी  तौ भौत खुस हुयौ। ऊ समझगौ कै याई राजकुमार के हातन में राज्य सुरछित रेहगौ। राजा नै ऊ ही राजकुमार बना दियौ।