बिरजभासा में बात

एक नदी कनारे एक छोटो सो गांम

एक नदी कनारे एक छोटो सो गांम हो। बामै बहुत पेड़-पौधे और जीन जिनाबर है। नदी में औरत लत्‍तान नै धौमैई और बच्‍चा खेले कुदे है। वहाँ खेतन में गेहूँ, मौमफरी और पिरी-

पईसा ही सब कछु नाय

राम एक दस साल कौ लड़का हौ, बू अपने मां-बाप कौ अकेलौ बेटा हौ, राम कौ पिता एक भौत व्यस्त बौपारी हौ जौ अपने बेटा के संग टैम ना बिता सकौ। बू राम सोबे के बाद घर आबै हौ, और सुबह उठबे ते पहले ही ऑफीस चलौ जाबै हौ। बू अपने दोस्तन के संग बाहर जाबै हौ अपने पिता के संग खेलनौ चाहबे हौ।

बंदर और ऊंट

भौत साल पहलैं, जंगल में सबरे जानबर अपनी-अपनी अभिनय और नाचबे-गाबे की कलाकारी दिखाबे काजैं इकट्‍ठे हुये। जब सबरे जानबर आ गये, तो बंदर ते नाचबे की कही गई। बंदर तो उछल-कूद और कलाबाजीन में माहिर हो। तो बानै अपने नाच ते सबकौ मनोरंजन करौ।

सब जानबरन नै तारीफ करी और बंदर ऐ सब नै भौत अच्छौ नरतक मान लियौ। ऊंट ते बंदर की तारीफ सहन ना हुई और बानैऊ नाचनौ सुरू कर दियौ। और ऊंट कौ नाच बेतुका और बेढंगा हो। बाकौ नाच कोई जानबरै पसंद ना आयौ। और सबनै बाकी बुराई करी। ऊंट नै जलन ते नाच करौ या कारन सजा के रूप में बू जंगल ते  निकार दियौ।

गरम जामुन

कहानी (गरम जामुन)

बहौत टैम पहले की बात ऐ, सुंदरवन में सेतू नाम कौ एक बूढ़ौ खरगोस रहबे हो। बू इतनी अच्छी कविता लिखौ कि सारे जंगल के पसुपक्षी उन्नै सुनकैं बहौत खुस हैबे और विदमान तोता तक उन्‍नै लोहा मानै हो।

सेतू खरगोस नै सासतार्थ में सुरीली कोयल और विदमान मैना तक हरा दियै। याई कारन जंगल कौ राजा सेर भी बाकौ आदर करेकरौ। पुरे दरबार में बा जैसे विदमान कोई ना हो। धीरें-धीरें बाऐ अपनी विदमानी पै बड़ौ घमंड हैगौ।

गारीन की भरमार

एक कोरिया की छोरी कौ ब्याहौ। तौ वा छोरी की मईया अपने पति ते कहरी कि समदी आवैगौ ब्याह में हमपै तौ गारी-फारी भी ना आमै। तुम कहीं ते गारी सीखयाओ। कोरिया डेड सै रुपया लैकैं घत ते चलेगौ। जंगल में हर वारौ खेत जोतरौ तौ ऊ बोलौ तू कहां जारौय। ऊ बोलौ गारी सीखबे। खेत में नौरा गड्डौ खोदरौ। खेत बारौ बोलौ मैं सिखा

मूरख और समझदार

एक आदमी नै कोई बडे आदमी ते पूछी कै सिरीमान जी मूरख आदमी ते लोग गधा क्यों कहमै। बाते मूरख पने की बहस करैं। बड़े आदमी नै जुबाब दियौ- गधा यानि ग कौ मतलब गलत और धा लौ मतलब धारना, जामै गलत धारना हैबै ऊ गधा है। गलत यानी खोटौ, जाली (धारना) विचार बारौ मूरख हैबै। याई बजे ते मूरख आदमीय लोग गधा कहमै।

तेनाली की कला

विजय नगर कौ एक राजा अपने महल में चित्तर छपवानौ चाहरौ तो बानै एक चित्तरकार नियुक्त कर दियौ। बानैइत्तर बना दिये। जानै भी चित्तर देखे सबनैय भौत बढ़िया लगे लेकिन तेनालीरामै कछु संका लगी। एक चित्तर की पिरस्ठ भूमि में अलग नजारौ। फिर बानै सीधे स्वभाव ते पूछी जाकौ दूसरौ पक्छ कहाँ है। याके अंग कहाँ है। राजा नै

एक रिसी और दो सिस्य

एक रिसी के दो सिस्ये। जामें एक सिस्य सही सोच वारौ जो संदा दूसरेन की भलाई के बारे में सोचैयो। और दूसरो सिस्य गलत सोच वारो और स्वभाव ते भौत गुस्सा बारौ। एक दिन महात्मा अपने दोनूं सिस्यन की परीक्छा लैबे कूँ उन्नैय जंगल कूँ लैगौ। जंगल में एक आम कौ पेडौ जापै भौत सारे खट्टे मीठे आम लटक रे तौ रिसी नै पेड़ की

उधार को बोझ

एक पोत एक कोई मजबूरी कि समस्या में तेनालीराम नै राजा देवराय ते कछू रुपुआ उधार लिये। धीरें- धीरें समय आगौ रूपया वापिस दैबेकौ। पर तेनालीराम के ढिंग रूपया लौटावे को कोई पिरबंध नाओ। तौ बानै उधार उधार चुकावे की एक तरकीव सोची। एक दिना राजाय तेनालीराम की बईयेर की ओर ते एक पन्ना मिलौ। बा पन्ना में लिखरी तेनाल

जीत कौ रहस्य

एक बेर एक दस साल के बालक नै जूडो की टिरैनिंग करबे कौ फैसलौ कर लियौ। जबकि बाकौ सीधौ हाथ कार की टक्कर में कटगौ। बाकी जूडो की टिरैनिंग बाके गुरु नै चालू कर दी। तीन महीना तक बाकौ गुरु केवल एक ही दाव सिखातौ रयौ। जब बानै याके बारे में अपने गुरु ते पूछी तौ बानै कही तोकूं तौ यही मूव सीखनौ काफी है। बालक नैय गु