बिरजभासा में लोकगीत

चरण रज राधा प्यारी की ।

चरण रज राधा प्यारी की ।
तेरी बिगड़ी बना देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [1]

तू बस एक बार श्रद्धा से, लगा कर देख मस्तक पर ।
सोयी किस्मत जगा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [2]

दुखों के घोर बादल हों, या लाखों आंधियां आयें ।
तुझे सबसे बचा लेगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [3]

तेरे जीवन के अन्धिआरों में, बन के रोशन तुझको ।
नया रास्ता दिखा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [4]

भरोसा है अगर सच्चा, उठा कर फर्श से तुझको ।
तुझे अर्शों पर बिठा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ॥ [5]

मेरी चुँदरी में पड़ गयो दाग री

मेरी चुँदरी में पड़ गयो दाग री,
ऐसी चटक रंग डारो श्याम। [1]

मोहू सी केतिक ब्रज सुन्दरि,
उनसों न खेलै फाग री॥ [2]

औरन को अचरा न छुए,
याकी मोही सो पड़ रही लाग री। [3]

'बलिदास' वास ब्रज छोड़ो,
ऐसी होरी में लग जाये आग री॥ [4]

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं। 

बाजै ताल मृदंग झाँझ ढप, 
दौड़त आवैं लाल आज हरि नाचै हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

उड़त गुलाल लाल भए बादर, 
रंग की पड़त फुहार आज हरि बरसन लागे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

फेंट गुलाल हाथ पिचकारी,
मैं लाई रंग घोल, आप डर भागन लागे हैं। 

वृन्दावन के बीच आज ढप बाजे हैं......

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री

मेरौ बारौ सो कन्हैंया कालीदह पै खेलन आयो री
ग्वाल-बाल सब सखा संग में गेंद को खेल रचायौरी
काहे की जाने गेंद बनाई काहे को डण्डा लायौरी
रेशम की जानें गेंद बनाई, चन्दन को डण्डा लायौरी
मारौ टोल गेंद गई दह में गेंद के संग ही धायौरी
नागिन जब ऐसे उठि बोली, क्यों तू दह में आयौरी
कैं तू लाला गैल भूलि गयो, कै काऊ ने बहकायौरी
कैसे लाला तू यहाँ आयो, कैं काऊ ने भिजवायोरी
ना नागिन मैं गैल भूल गयो, ना काऊ ने बहकायौरी
नागिन नाग जगाय दे अपनों याहीकी खातिर आयौरी

छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल

छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल

छोटी-छोटी गइया छोटे-छोटे ग्वाल
छोटौ सो मेरौ मदन गोपाल

आगे-आगे गइया, पीछे-पीछे ग्वाल
बीच में मेरो मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया

काली-काली गइया गोरे-गोरे ग्वाल
श्याम वरन मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो

घास खाएँ गइया, दूध पीवे ग्वाल
माखन तो खावै मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो

छोटी-छोटी लकुटी, छोटे-छोटे हाथ
बंसी बजावे मेरौ मदन गोपाल
छोटी-छोटी गइया... छोटौ सै मैरो

सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया

सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया

सुन मेरी मैया, मैं पडूँ तेरे पैंया
मेरो छोटौ सौ काम कराय दै
राधा गोरी से ब्याह रचाय दै

राधा-सी गोरी मेरे मन में बसी है
ग्वाल उड़ावे नहीं मेरी हँसी है
मौकूँ छोटी-सी दुल्हनियाँ लाय दै
अपने हाथों से दुल्हा बनाय दै

सेवा-वो मैया तेरी रोज करेगी
जोड़ी तो मैया मेरी खूब जमेगी
नन्द बाबा कूँ तू नेंक समझाय दै
दाऊ भैया कूँ नेंक संग पठाय दै

रघुनन्दन फूले ना समाय लगन आई हरे-हरे

रघुनन्दन फूले ना समाय
लगन आई हरे-हरे
लगन आई मोरे अँगना

बाबा सज गए, ताऊ सज गए
सज गयी सारी बरात
हो रघुनन्दन तो ऐसे सज गए
जैसे श्री भगवान्

लगन आई हरे-हरे
लगन आई मोरे अँगना

रघुनन्दन फूले ना समाय
लगन आई हरे-हरे
लगन आई मोरे अँगना

पापा सज गए, चाचा सज गए
सज गयी सारी बरात
हो रघुनन्दन तो ऐसे सज गए
जैसे श्री भगवान्

लगन आई हरे-हरे
लगन आई मोरे अँगना

रघुनन्दन फूले ना समाय
लगन आई हरे-हरे
लगन आई मोरे अँगना

रचौ रचौ है वृन्दावन रास

रचौ रचौ है वृन्दावन रास
लँगुरिया चलै तो दर्शन कर आमें

है कौन गाँव रानी राधिका
तो कौन गाँव घनश्याम

बरसाने की रानी राधिका
तौ नन्दगाँव घनश्याम

कौन वरन की रानी राधिका
तौ कौन बरन घनश्याम

गोरे बरन की रानी राधिका
तौ श्याम बरन घनश्याम

पहने कहा है रानी राधिका
और कहा पहने घनश्याम

लाल चुंदरिया राधे पहने है
तौ पीताम्बर घनश्याम

कहा करत है रानी राधिका
तौ कहा करत घनश्याम

निरत करत है रानी राधिका
और मुरली बजावै घनश्याम

श्री गोवर्धन महाराज, महाराज

श्री गोवर्धन महाराज, महाराज
तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ

तौपे पान चढ़े, तौपे फूल चढे़, तो पै पान
और चढ़े दूध की धार, हाँ धार

तेरे गले में कण्ठा सोह रह्यौ, तेरे गले में
तेरी झाँकी बनी विशाल, विशाल,
तेरे माथे मुकुट विराज रह्यौ
तेरी झाँकी बनी विशाल, विशाल
तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ

तेरी सात कोस की परिक्रमा, तेरी सात
चकलेश्वर है विश्राम, विश्राम
तेरे माथे मुकुट बिराज रह्यौ

आज दिन सोने का कीजो महाराज

आज दिन सोने का कीजो महाराज
सोने को सब दिन, रूपों की रात,

मोती के कलसे भराऊँ महाराज
आज बहूरानी मेरे घर में है आई 
नौबत-नगाड़े, बजवाऊँ महाराज

हरे-हरे गोबर अँगना लिपाऊँ 
बंदनवारें बँधवाऊँ महाराज

सखी-सहेलिन सबकू बुलवा के 
मंगल-गीत गवाऊँ महाराज

साज-सिंगार बहू को करवा के 
राई-नोन उतारूँ महाराज
आज दिन सोने को कीजे महाराज