टेक- बिरज के सूने परे गिरारे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
1. बागन-बागन फिरुं अकेली बागन के लगरे तारे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
बिरज के सूने परे गिरारे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
2. महलन-महलन फिरुं अकेली अरी महलन के लगरे तारे रे
मेरे कितकूं गये वंसी बारे रे
बिरज के सूने परे गिरारे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
3. मन्दिर-मन्दिर फिरुं अकेली मन्दिर के लगरे तारे रे
वामें मिलगे वंसी बारे रे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
बिरज के सूने परे गिरारे मेरे कितकूं गये वंसी बारे
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