एक सज्जन मांईसौ। जब ऊ जादा बूढौ हैगौ तौ वानै अपनौ छोरा बुलायौ और वाते कहरौ बेटा मैंनै अपनौ सबरौ जीवन दुनिया कूं सिक्छा दैबे में निकार दियौ। अब मैं तोकूं कछू जरुरी बात बतानौ चांहु,पर बात बतावे ते पहलें तू मोकूं एक कोयला और चंदन का एक टुकडा लैकैं आ। बेटा घर में तेई कोयला और चंदन कौ टुकडा लै आयौ। तौ वाके बाप नै कही कै इन दोनून्नैं नीचैं फैंक दै। छोरा नै दोनूं चीज नीचैं फैंक दी और हात धोबे जाबे लगौ तौ वाकौ बाप बोलौ रुक बेटा मोय तेरे हातै तौ दिखा। छोरा नै हात दिखायौ तौ वाकौ बाप बोलौ बेटा तैनैं कोयला फैंक दियौ फिर भी हात में कालिख लगी रहगी। ऐसैं ही गलत लोगन के संग रहबे पै भी जीवन भर कूं बदनामी संग लग जाबै। दूसरी ओर सज्जन कौ संग या चंदन की लकडी की हांईयै जो संग रहबे पै भी दुनिया भर कौ ग्यान मिलै और उनकौ संग छूटबे पै भी उनके मन के विचारन की महक जीवन भर बनी रहबै। इसलिये हमन्नै अच्छे लोगन की संगति में रहनौ है।
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