1. कहे कौ तौ बेटी-बेटाय ना तौ ईंट पत्थर।
अर्थ- अगर बेटी या बेटा अपने माता पिता का कहना मानता है तो बेटी- बेटा है। नहीं तो वह ईंट या पत्थर के समान है।
2. थोरौ पढ़ौ तौ हर ते गयौ और जादा पढ़ौ घर ते गयौ।
अर्थ- अगर मनुष्य कम पढ़ जाता है तो हल चलाने का भी नहीं रहता है और ज्यादा पढ़ जाता है वह घर का भी नहीं रहता है। क्योंकि उसकी लग जाती है तो वह बहार ही नौकरी करता है।
3. लिये कौ दिये ते ही पिन्ड छूटै।
अर्थ– अगर हम किसी से पैसा लेते हैं तो पैसा देने से उसका पीछा छूटता है अगर नहीं देते हैं तौ वह बार बार घर पै आ जाता है।
4. जनानौ खानौ और खजानौ ये दुबके हुये होने चहियैं।
अर्थ- जनानी का घूंघट, भोजन और खजाना ये हमेशा दुबके हुये होने चाहिए।
5. भईया साथ कौ और पईसा हात कौ होनौ चहियै।
अर्थ-भाई का साथ होना और पैसा हाथ में होना चहियै समय का पता नहीं कौनसे समय पर जरुरत पड जाये।
6. जेब कौ पईसा बीत जाबै पर जुबान कौ पईसा ना बीतै।
अर्थ- एक समय पै जेब में से पैसा बीत जायेगा पर आदमी की जुबान का पैसा नहीं बीतेगा।
7. बेटा और लोटा बाहर ही चमकै।
अर्थ- जैसे लोटे का बाहरी भाग चमकता है वैसे ही पुत्र घर के बाहर नाम रोशन करता है यानि इज्जत पाता है।
8. मालिक के जाये ते पीछैं खेत में कम काम करैं।
अर्थ-मालिक के हटते ही काम करने वाला कामचोरी करे।
9. करै कोई और भरै कोई।
अर्थ-गलती करनेवाले को सजा न देकर किसी और को देना।
10. अपने मन कौ खाबै और लत्ता पहरै जो दूसरेन्नै बढीया लगै।
अर्थ-अपने रुचिनुसार भोजन करना चाहिए पर कपड़े ऐसा पहनना चाहिए जो दूसरों को अच्छा लगे।
11. काम न धाम करै यहां हूं यहां हूं।
अर्थ-काम-धाम न करना लेकिन श्रेय लेने की कोशिश करना।
12. मंगनी के चंदन घिसै रघुनंदन।
अर्थ-दूसरे की वस्तु का दुरुपयोग।
13. बाप ना भईया सबते बडौ रुपईया।
अर्थ-पैसे का ही महत्व होना।
14. मूरख समझायौ समझौ नहीं पढगौ च्यारों वेद, जब सुद आई कुटम की रयौ ढेड की ढेड।
अर्थ-जब मूर्ख समझाया तो समझा नहीं जब याद आई कुटम्ब की जब पढ रहा था वेद।
15. जब अठन्नी में काम हैरौ तौ रुपईया कि काह जरुरत।
अर्थ-कम में काम चल जाए फिर भी ज्यादा का उपयोग।
16. सई गलत की पतौ नाय और हां में हां मिलारौय।
अर्थ-गलत या सही का भेद न करते हुए किसी के हाँ में हाँ मिलाना।
17. पानी की चुपरी चौका तक चलै।
अर्थ-झूंठी बात थोडी देर तक ही चलती है।
18. नाच ना जानै आंगन टेडौ।
अर्थ-नाचना आता नहीं और ऐब लगा रही है।
19. दुनिया में ते दुनिया नै खायौ पर गांठ बांघ कैं कोई ना लैगौ।
अर्थ-संसार में से संसार खाता है जैसे तुमने किसी दूसरे का कुछ भी खा लिया पर मरते वक्त साथ कोई नहीं लेकर जाता सब यहीं पर रह जाता है।
20. फूबर पीसै ना दिन दीखै ना।
अर्थ-बेसगूहर औरत रात के समय में 12 बजे चाखी ते कुछ भी पीसती थी तो ये बात उन के ऊपर कही जाती है।
21. राजा करै तौ लीला, छोटे करैं तौ चोरी।
अर्थ-जब राजा चोरी करे तो उसकी कोई कुछ भी नहीं कहता था। क्योंकि उसकी चलती थी और जब छोटो कोई काम करे तो चोरी कहलाती है।