राम एक दस साल कौ लड़का हौ, बू अपने मां-बाप कौ अकेलौ बेटा हौ, राम कौ पिता एक भौत व्यस्त बौपारी हौ जौ अपने बेटा के संग टैम ना बिता सकौ। बू राम सोबे के बाद घर आबै हौ, और सुबह उठबे ते पहले ही ऑफीस चलौ जाबै हौ। बू अपने दोस्तन के संग बाहर जाबै हौ अपने पिता के संग खेलनौ चाहबे हौ।

एक दिना साम कूं राम अपने पिता ऐ देखकैं हैरान हैगौ, बू अपने पिता ते पूछबे लगौ, 'तुम एक साल मे कितनौ कमामै हैं' राम के पिता नै जबाब दियौ हजार रूपईया घंटा। फिर राम अपने कमरा में गयौ और गुल्‍लक के संग लैकैं आयौ, जामै बाकी बचत ही। पिताजी मेरी गुल्‍लक में पांच हजार हैं, का तुम मेरे काजैं दो घंटा कौ टैम दै सकैं हैं। मैं समन्दर किनारे कल साम कूं तुम्हारे संग भजन करनौ चाहूं, का तुम मेरे संग जा सकैं हैं, बाकी बात सुनकैं राम के पिता अबाक भक्त थे।

सिक्छा: पिता माता अपने बच्‍चान नैं जो सबसे बड़ौ उपहार दे सकैं हैं बू है टैम, पईसा ते सब कछु ना खरीद सकैं।