जल की मछरियाँ सासुल, बिकन को आईं जी
कोई हमें हू दिवाय देओ सासुल जल की मछरियाँ जी
आज नहीं लेंगे बहुअर, कल नहीं लेंगे जी
कोई परसों को लेंगे बहुअर, जल की मछरियाँ जी
बारह बरस पीछे राजा घर आए जी
कोई हम हू चलेंगे सासुल, राजा जी की बगिया जी
आज नहीं जाएँगे बहुअर, कल नहीं जाएँगे जी
कोई परसों को जाएँगे बहुअर, बेटा जी की बगिया जी
कोई बारह बरस पीछे हम घर आए जी
ए जी कहीं भी न दीखे अम्मा, सासुल जाई जी
सासुल जाई बेटा गर्ब हठीली जी
कोई सोई पड़ी है बेटा, ऊंची अटरिया जी
ए जी नरम सी संटी बेटा, बागों से लइयो जी
कोई मार जगइयो बेटा, सासुल जाई जी
एक संटी मारी राजा, दोय-चार मारीं जी
कोई तब हू न उठी रामा, सासुल जाई जी
मुखड़ा उघाड़ राजा, देखन लागे जी
कोई काली पड़ी रे रामा, कंचन काया जी
कोई बागों में जा के राजा, चन्दन लाए जी
कोई फूँक जराईं रामा, सासुल जाई जी
कोई सपने में अइयो गोरी, दुखड़ा सुनइयो जी
कोई क्या दुःख व्यापा गोरी, मरण संजोया जी
कोई तुमरे तो आगे राजा, पूड़ी-कचौड़ी जी
कोई तुमरे तो पीछे राजा, रूखे-सूखे टुकड़े जी
कोई तुमरे तो आगे राजा, दूध-कटोरा जी
कोई तुमरे आवन की सुन के, बिस भरे प्याले जी
कोई जहर के प्याले पी के, नींद लग आई जी
कोई आय चढ़ सोई राजा, सेज तुम्हारी जी
कोई दूर चाकरी जाये, या न जाये जी
कोई माँ पे न छोड़े कोई, सासुल जाई जी
जल की मछरियाँ ----------
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