टेक: जमुना किनारे मेरौ गाँव आ जइयो
जमुना किनारे मेरौ गाँव आ जइयो
जमुना किनारे मेरी ऊँची हवेली
मैं ब्रज की गोपिका नवेली
राधा रंगीली मेरौ नाम कि बंशी बजाय जइयो
मल-मल कै स्नान कराऊँ
घिस-घिस चन्दन खौर लगाऊँ
पूजा करूँ सुबह शाम कि माखन माख जइयो
खस-खस कौ बंगला बनवाऊँ
चुन-चुन कलियाँ सेज सजाऊँ
धीरे-धीरे दाबूँ में पाम, प्रेम-रस पियाय जइयो
देखत रहूँगी बाट तुम्हारी
जल्दी अइयो कृष्णमुरारी
झाँकी करेंगी ब्रजवाम कि हंस-मुस्काय जइयो
तुम से फँस रहौ प्रेम हमारौ
खिच्चो कह रहौ आटे बारौ
बाबू खलीफा मेरौ काम नैंक करवाय जइयो
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