टेक- च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
इसलिए ये अंधेरों का सोधा दोस्ती का भरोसा नहीं है
1. इतने घरों के दियों को जलाकर वो मनाता है नादान दिवाली
जिन्दगी पर अजय करने वाले जिन्दगी का भरोसा नहीं
च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
2. जो इतनी भीड में, तनहा दिखाई देता है
वह सच ही मुझे, अपना दिखाई देता है
बरस रही है, ये घटाये जाने कहां- कहां पर
ये सारा सहर, प्यासा दिखाई देता है
च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
3. पहले खुद के कर्मों को देखो फिर मुझे सौक ते गालियां दो
क्योंकि दिल लगाया, दिल लगाया दिल लगी ते
वो भी दिल्ली चली गई, मैं दिल्ली गया वह और कहीं चली गई
मैंनै सोचा जान देदू, बिजली के तार पर
बिजली का तार पकडा, बिजली भी चली गई
पहले खुद के कर्मों को देखो फिर मुझे सोक से गालियां दो
4. उस मनीहस की ये कर रहा हूं
दोस्ती का भरोसा नहीं
च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
- अपने बिचार जोड़ो