एक मांईसौ ऊ अपनी समस्यान ते भौत दुखीयौ। फिर ऊ एक बाबाजी के ढिंग गयौ। वानै बाबाजी ते अपने जीवन की भौत समस्या बतांई। जो कभी भी खतम ना हैमै। याकी बजह ते मेरी जिन्दगी खराब हैती जारीय। बाबजी नै कही अब तौ रात हैबे में कल समाधान बतांगौ। बाबाजी नै कही मेरे ढिंग भौत ऊंट हैं इनकी देखरेख बारौ बीमार हैगौय। तू रात कूं इनकी देखभार करियौ। जब ये सब ऊंट बैठ जामै तौ तू सो जइयौ। दूसरे दिना बाबाजी दिननिकरैं मांईस के ढिंग गयौ। बाते पूछी रात कूं कैसी औंग आई। मांईस नै जुबाब दियौ रात में कभी एक ऊंट खडौ है जाबै तौ कभी दूसरौ। सबरे ऊंट बैठे ही नाय। बाबजी हंसतौ हुयौ बोलौ ऐसेंई समस्यान के संग हैबै। सबरी समस्या एक संग खतम ना है सकैं। पर इन्नै खतम करबे की कोसिस में तुम जीनौ ना छोड सकैं। कछू समस्यान नै तौ तुम खुद सुलझा सकैं और कछू समस्या असखुद खतम है जामै। कछू समस्या तमाम कोसिस के बाबजूद भी खत्म ना हैमै। इन समस्यानै तुम समै पै छोड दैनी चहियैं और जीबन कौ आनंद उठानौ चहियै।
सीक- कछू समस्या समै के संग ही खतम हैमै उनते परेसान ना हौनौ चहियै।
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