एक मकान में बोहोत घनूँ मूसे रहवैये। एक बिल्लो भी बाई मकान में रहवैयी। तो बिल्लो कछु मुसेनैय रोजीना  मार देई और खा जावैयी। मूसे भौत चिन्ता में परगे। वे तो बिल्ली ते छुटकारो पानो चाहवैये। एक दिना सबेरे मूसेनैय एक पंचायत जोरी। और बा पंचायत में बूढ़े मूसे नै सभा की अध्यक्षता की। अलग- अलग मूसेनैय अलग-अलग विचार रखे। अंत में तो एक जुआन मूसे नै भी एक सुझाव (शर्त) रखी कि बिल्लो के गरे में घण्टी बाँध देनी चाहिये जाते कि वाकी आवे की आवाज कौ पत्तौ तौ लग जागौ। तौ सबरे मूसे बड़े खुश हुये। और ई उपाय सबनैय भौत बढ़िया लगौ। फिर नैक देर डटकें बूढ़ो मूसो खड़ौ हुयौ और बोलो उपाय (प्रस्ताव) तौ भौत अच्छौ है जाते हम बच सकें और बोलो अगर हम इस प्रस्ताव की तोहीन (अनुशरण) करें। लेकिन बिल्लो के गरे में घण्टी कौन बाँधेगौ? सबरे चुप हैगे । उनमें ते कोई भी तैयार न हुयो। और नुकनी ही वहाँ पै बिल्लो आगी। और सबरे मूसे अपने भिट्टेन की ओर भग परे।

शिक्षा :-   करनी से कथनी आसान है।