एक आदमी नै कोई बडे आदमी ते पूछी कै सिरीमान जी मूरख आदमी ते लोग गधा क्यों कहमै। बाते मूरख पने की बहस करैं। बड़े आदमी नै जुबाब दियौ- गधा यानि ग कौ मतलब गलत और धा लौ मतलब धारना, जामै गलत धारना हैबै ऊ गधा है। गलत यानी खोटौ, जाली (धारना) विचार बारौ मूरख हैबै। याई बजे ते मूरख आदमीय लोग गधा कहमै।

मूरख और समझदार में ईयई फरक हैबै कै मूरख अपनी गलत धारनाय हैबै के बाबजूद अपनी गलतीय ना मानै, पर समझदार अपनी भूलैय भी मान लैबै। मूरख वा मक्खी के हांई यै जो मिस्ठानै छोड़कैं गंदगी पै बैठै।

समझदार मधुमक्खी के हांईयै जो सबरे फूलन में ते रस लैकैं सहद इकठ्ठौ करै।