लिये कौ दिये ते ही पिन्ड छूटै।
<p>अर्थ– अगर हम किसी से पैसा लेते हैं तो पैसा देने से उसका पीछा छूटता है अगर नहीं देते हैं तौ वह बार बार घर पै आ जाता है।</p>
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थोरौ पढ़ौ तौ हर ते गयौ और जादा पढ़ौ घर ते गयौ।
<p>अर्थ- अगर मनुष्य कम पढ़ जाता है तो हल चलाने का भी नहीं रहता है और ज्यादा पढ़ जाता है वह घर का भी नहीं रहता है। क्योंकि उसकी लग जाती है तो वह बहार ही नौकरी करता है।</p>
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कहे कौ तौ बेटी-बेटाय ना तौ ईंट पत्थर।
<p>अर्थ- अगर बेटी या बेटा अपने माता पिता का कहना मानता है तो बेटी- बेटा है। नहीं तो वह ईंट या पत्थर के समान है।</p>
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राजा करै तौ लीला छोटे करैं तौ चोरी।
<p>अर्थ- जब राजा चोरी करैऔ तो उसकी कोई कुछ भी नहीं कहता था। क्योंकि वाकि चलती थी और जब छोटो कोई काम करै तौ चोरी कहलाती है।</p>
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