बिरजभासा में बात

बिल्लो के गरे में घण्टी बांधनौ

एक मकान में बोहोत घनूँ मूसे रहवैये। एक बिल्लो भी बाई मकान में रहवैयी। तो बिल्लो कछु मुसेनैय रोजीना  मार देई और खा जावैयी। मूसे भौत चिन्ता में परगे। वे तो बिल्ली ते छुटकारो पानो चाहवैये। एक दिना सबेरे मूसेनैय एक पंचायत जोरी। और बा पंचायत में बूढ़े मूसे नै सभा की अध्यक्षता की। अलग- अलग मूसेनैय अलग-अलग विचार रखे। अंत में तो एक जुआन मूसे नै भी एक सुझाव (शर्त) रखी कि बिल्लो के गरे में घण्टी बाँध देनी चाहिये जाते कि वाकी आवे की आवाज कौ पत्तौ तौ लग जागौ। तौ सबरे मूसे बड़े खुश हुये। और ई उपाय सबनैय भौत बढ़िया लगौ। फिर नैक देर डटकें बूढ़ो मूसो खड़ौ हुयौ और बोलो उपाय (प्रस

हुसयार राजा

दो बईयेरीं । एक पोत एक छोटे से बालक पै आपस में लड़ाई हैगी। दोनों कहरी मेरो तो (इकलो) एक ही बालक। एक बईयेर कहरी मैं तो याकी हकीकत मईया हूँ। दूसरी कहरी मेरो तो इकलो छोरायै। पर उनको कोई भी गवाह न हो। या हिसाब ते लड़ाई शान्त हैबे को कोई नाम नाय। दोनो जनी न्याय कूँ राजा के ढ़िंग गई। राजा भौत हुशियारो। राजा नै सबते पहलैं उन दोनो जनीन के ब्यान सुने। फिर राजा बोलो त्यारी समस्या कौ तौ एक ही उपाय। बालक के दो ठुकड़ा किये जायेंगे। उनमें ते तुम दोनो जनी एक-एक ठुकड़ा लै लियों। एक बईयेर नै तो फैसलो मान लियो लेकिन दूसरी नै राजा ते प्रार्थना करी कि बालक को न मारा   जाये। बाने कहा

दर्जी और हाती

एक बेर एक हाथीओ। बाकौ मालिक बाय एक नदी पै लै जाबेओ। हाथी नदी में नहाबैयो और पानी पीकरोय। गैल में एक टेलर की दुकान पडैयी। टेलर एक दयालु माईस हो। बू बाकूँ रोजीना कछु ना कछु खाबे कूँ दैदेकरोय। हाथी टेलर कूँ नदी ते फूल लाकरैयो। तौ याई तरीका ते दोनों आपस में पक्के दोस्त बनगे।
एक दिना टेलर दुकान पै नाहो। तौ बाको छोरा दुकान पै बैठो। तौ पहले की तरह हाथी ने अपनो सूँड दुकान के भीतर डारो तौ बाके छोरा नै बाकूँ कछु खाबे कूँ ना दियो।  और हाथी के सूँड में सूँई चुभो दी। हाथी गुस्सा हैकें चलेगो कि टेलर के छोरा ते बदलो लैबे कूँ।

खरगॊश ओर शॆर

एक नहार हो बू रोजीना कोई न कोई जानवरै खाजाबैयो। कछु दिना डटकें शेर और अनेक जानवरों के बीच एक समझौता हुयो। बामें जानवरनै शर्त रखी कि हममें ते कोई न कोई एक जनों बाके पास भोजन के रूप में जायेंगे। तो एक दिना खरगोश की बारी थी।  तो खरगोश शेर के ढिंग भोहोत देर में गयो। शेर भौत नाराज हैगो। बानै खरगोश ते पूछी इतेक लेट क्यों आयो। खरगोश बोलो एक दुसरे शेर नै मोय गैल में रोक लियो। शेर बोलो खरगोश ते मोय दूसरे शेर को दिखाकें लाओ। खरगोश शेर को कुँआ  के ढ़िंग लैगो। शेर नै कुँआ में अपनी परछाई देखी। बू कुँआ में कुदगो और डूबकें मरगो। 

ईमानदार लकड़हारौ

एक लकडहारो बू अपनो जीवन-यापन लकड़ियानै काट-काट चलाबैयो। बू बिचारो बहुत गरीबौ।एक बेर लकडहारौ नदी के किनारे पै एक पेड़ काटरौय। अचानचक बाकी कुल्हाडी पानी के भीतर गिरगी। बू रोबे लग्गो, और बू नदी के देबता ते प्रार्थना करबे लग्गौ। तौ फिर नदी कौ देवता वहाँ पै आयौ और लकडहारे ते पूछी ऐंरे तू क्यों रोरौय। लकडहारे ने अपनी सबरी कहानी बताई। तौ फिर नदी के देवता ने  नदी में डुबकी लगाई और एक  सोने की कुल्हाडी लैकें बहार आये। तौ लकडहारौ बोलो ई कुल्हाडी मेरी नाये। फिर दुबारा नदी के देबता चाँदी की कुल्हाडी लैकें बहार आये। तौ लकडहारे ने फिर नांही कर दी।क्योंकि ऊ कुल्हाडी बाकी नाही। त

च्यार चोर

एक पोत की बात है च्यार चोर चोरी करबै गये। और आदी रात कौ टैम हो, चोर एक घर में घुसगै, और बा घर में एक  ड़ोकरी पीछे कूँ हात लटका कें सोरई, और महीं बगल में दरिया कि पतीली रखी और दरिया गरम हतो।तीन चोर बा घर में चोरी करबै लगे।और चौथो चोर बा ड़ोकरीय देखबे लगो और सोचबे लगो कै ड़ोकरी भूखी सोरई है और मेरे माईं हात कर्रईये। और बा चोर नें दरिया लेकें बाके हात पै रखदियो। और ड़ोकरी को हात भुरसबै लगो तो बू जोरतै किल्ली देवे लगी, और गाम बारै भग्कें आये,इतेक में तीन चोर घर के तीनो कोनेंन में दुबग्गै और जानें दरिया रखो बू चोर ऊपर लटग्गो। गाम बारै ड़ोकरी तै पूछबै लगे कै ड़ोकरी कहा