करज की सान
एक दिना इसकूल के बालकिन्नै घूम्बे कौ विचार बनायौ और वामै सब चीच खाबे की अपने-अपने घरन ते लाबे की कही। तौ उनमें ते एक बालक अपने घर कूँ गयौ और अपनी मईया कूँ सबरी बात बताई। बालक की बातै सुनकैं मईया चिंता में परगी। क्योंकि वाके घर खछू भी नाऔ पर थोरे से खजूरे। पर मईया नै सोची खजूर बढिया ना रिंहगे। साम कूँ
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