बिरजभासा में कहावत
1. कहे कौ तौ बेटी-बेटाय ना तौ ईंट पत्थर।
अर्थ- अगर बेटी या बेटा अपने माता पिता का कहना मानता है तो बेटी- बेटा है। नहीं तो वह ईंट या पत्थर के समान है।
- और पढ़ौ
- अपने बिचार जोड़ो
1. कहे कौ तौ बेटी-बेटाय ना तौ ईंट पत्थर।
अर्थ- अगर बेटी या बेटा अपने माता पिता का कहना मानता है तो बेटी- बेटा है। नहीं तो वह ईंट या पत्थर के समान है।
एक कारौ मांईसौ। बाकौ भ्याह हैगौ। जब ऊ मांईस सुसरार कूं जाबैऔ तौ वाकी सास अपनी छोरी ना भेजैई और ना ही बढिया तरै ते खातिर करैयी। एक पोत ऊ सुसरार गयौ तौ वाकी सास नै पहले ते ज्यादा बढिया खातिर करी और सास बोली मैहमान तुम तीन च्यार दिना यहीं पै रेहौ। मैहमान बोलौ पहलैं तुम इतनी बढिया खातिर भी ना करैंई और रोकै भी नाये। अब कैसैं तीन च्यार दिना रोकबे की कैहरींय। सास बोली हमारी भैंस कौ लबारेट मरगौय तुम भैंस के नींचै लग जईयौं याते भैंस दूद तौ दैदैगी। फिर अपनी बीबी लैकैं चले जईयौं।
टेक:- काना जल्दी से आना म्हारा गाँव को,
वंशी जोर से बजाना सुबह – शाम को।
मोहन मुरली वाले तूने पागल कर दिया मुझको,
जल्दी से आ जाना काना में समझा रही तुमको।
तोड़:- वापिस लौट के आना अपने धाम को वंशी जोर से बजाना।
कितने दिन हो गये श्याम क्योम ना वापिस आवें,
मोहन के दर्शन कूँ यहाँ पै जशोदा माँ घबरावे।
तोड़:- मैं तो भूलूँ कभी तिहारे नाम को ....
विन तेरे काना म्हारी गायनैय कौन चरावै,
मोहन के दर्शन कूँ मेरा जिया बहुत ललचावै।
तोड़:- मैं छोड़त डोलूँ अपने काम को वंशी जोर से बजाना।
तोड़- ओ ग्वालन मनय माखण दे,
माखन दे जरा चाखन दे
तुम गेल हमारी रोको नहीं मनय दध चाखन दे॥
माखन तनक चखा दे बताऊ तनय बात,
जब छोडगो ग्वालिन तेरो हाथ।
तोड़- जरा मान जा पहचान जा,
बडी जोर की भूख लगी तु अव तो माखन खामण दे॥
2. इकली तो मत जाने कान्हा मोय
ऐसो मजा चखा दूंगी में तोय ।।
तोड़- जरा मान जा पहचान जा
जा़ जशोदा ते कह दूंगी मनय वापिस घर कूँ आमण दे।
3. के माँगे माखन को वता दे मोल,
चुप खड़ी क्यों होगी कुछ तो बोल।
तोड़- जरा बोल दे मुख खोल दे,
ग्वाल वाल सब भूखे सय,इन कू माखन खामण दे।।
टेक- ऊगंली पै लियो उठाये गिरवर बंशी बारे नै,
इन्द्र का कोप बडा भारी,
बचाये डूबत नर नारी।
तोड़- भक्तन की करी सहाय मोहन वंशी बारे नै।
बीच में मोहन प्यारा है,
ग्वालों का लिया सहारा है।
तोड़- जानें ऊंगली तो लई लगाय मोहन बंशी बारे नै।
लगे जब ब्रज में जयकारे,
खुशी हुये जशोदा के जाये।
तोड़- जाने लाठी तो लई लगाय मोहन बंशी बारे नै॥
इन्द्र को मान घटाओ है,
गोवर्धन भोग लगाओ है।
तोड़- दीनो गिरवर नाम धराय मोहन बंशी बारे ने।