जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के

टेक- जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के
1.एक दिना बागन जाता चलता छेड-छेड के 
जसोदा सबरी कलियां तोरी वंसी मार-मार के
जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के
2.एक दिना कुआटन जाता चलता छेड-छेड के 
जसोदा सबरी गगरी फोरी वंसी मार-मार के
जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के
3.एक दिना तालन पै जाता चलता छेड-छेड के 
जसोदा सबरी धोती फारी वंसी मार-मार के
जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के
4.एक दिना महलन में जाता चलता छेड-छेड के 
जदोदा सबरी खिरकी तोरी ढक्‍का मार-मार के
जसोदा बिरजलाल अपने को चलता छेड-छेड के

जमुना में लहर उठीयै भारी मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी

टेक-जमुना में लहर उठीयै भारी मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी

1.जब रे लहर मेरी टकनन आई, मेरी पायल भीजैं बनबारी

मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी, जमुना में लहर उठीयै भारी मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी

2.जब रे लहर मेरी घुटनन आई, लहंगा भीजै बनबारी

मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी, जमुना में लहर उठीयै भारी मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी

3.जब रे लहर मेरी कमरन आई, तगडी भीजै बनबारी

मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी ,जमुना में लहर उठीयै भारी मेरौ हात पकर लेऔ बनबारी

4.जब रे लहर मेरे चुटयन आई, मोय गोदी लै लेऔ बनबारी

जगत के रंग क्या देखूं तेरौ दीदार काफी है

टेक- जगत के रंग क्या देखूं तेरौ दीदार काफी है
क्यों भटकूं गैरों के दर पै तेरा दरवार काफी है
1. नहीं चाहिये मुझको निराले रंग डंग मुझको निराले रंग डंग मुझको
चले जा हूं में खाटू जे तेरा सिंगार खाफी है
जगत के रंग क्या देखूं तेरौ दीदार काफी है
2. जगत के साज बाजों में हुये हैं कान अब भैरे हुये अब कान अब भैरे
कहां जाके सुनू बंसी मधुर भुगतान काफी है
जगत के रंग क्या देखूं तेरौ दीदार काफी है
3. जगत के रिस्तेदारों ने बिछाया जाल माया का
तेरे भक्तों से हो पिरीत (प्रिती) स्याम परिवार काफी है
जगत के रंग क्या देखूं तेरौ दीदार काफी है

च्यार दिन की पतक चांदनी है

टेक- च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
इसलिए ये अंधेरों का सोधा दोस्ती का भरोसा नहीं है
1. इतने घरों के दियों को जलाकर वो मनाता है नादान दिवाली
जिन्दगी पर अजय करने वाले जिन्दगी का भरोसा नहीं
च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…
2. जो इतनी भीड में, तनहा दिखाई देता है
वह सच ही मुझे, अपना दिखाई देता है
बरस रही है, ये घटाये जाने कहां- कहां पर
ये सारा सहर, प्यासा दिखाई देता है
च्यार दिन की पतक चांदनी है
चांदनी का भरोसा नहीं है.…

चलो रे भईया गिरिराज पूजा करेंगे

टेक- चलो रे भईया गिरिराज पूजा करेंगे
कलयुग के पिरथम देवता उनकी सरन परेंगे
1. सिरी किरस्न नै पूजन पुरन्दर कौ छुडा लियौ
लैकैं गोप ग्वाल बाल गिरवर कूं पुजा दियौ
आपई खायौ और आपकूं खबा दियौ
गिरवर कौ मान तीनों लोकन में बढा दियौ
उनकी सरन परेंगे चलो रे भईया गिरिराज पूजा करेंगे
2. कोप कर इन्दर मेघ मालन कूं बुला लियौ
बिरज कूं बहायो ऐसौ हुकम सुना दियौ
देख हाल-लाल गिरनक पै उठा लियौ
डूबत ते बिरज एक पल में बचा लियौ
व्याधा सकल हरंगे चलो रे भईया गिरिराज पूजा करेंगे
3. गंगा में नहाय पाप तन के नसा लेऔ